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उत्सव है पतंग-मांझे का (में_ओर_मेरा_एहसास) उत्सव

उत्सव है पतंग-मांझे का  (में_ओर_मेरा_एहसास)

उत्सव है पतंग-मांझे का 
आसमान में चारो ओर उड़े पतंग 
करे अतरंगी सतरँगी मस्तिया 
जैसे लगे रंगों का महोत्सव 
उत्सव है पतंग-मांझे का

आज फिर पतंग ओर माझा एक होंगे 
पतंग उड़ेगी अपने माझा के साथ 
जैसे प्यार का एहसास दिलाते हो दोनों 
बेमिसाल है पतंग मांझा का रिश्ता
एज आसमान  में उड़ता, तो दूसरा निचे आता है 
 उत्सव है पतंग-मांझे का 

आज आसमान रंगो से चमकेगा 
पतंगों की आपस मे आतशबाजी होगी
रंग बेरंगीं पतंगे उड़ेंगी 
सप्त रंगों से इंद्रधनुष लहराएगा 
आसमान आज फिरसे मुस्कुराने लगेगा 
 उत्सव है पतंग-मांझे का

पतंग ओर मांझा सेर होगी 
धरती से अंबर तक 
पेड़ो से ऊपर , पर्वतों की चोटि पर 
इस छत से उस छत तक 
आसमान में लहराए 
खाती हिचकोले ,उड़न खटोले जैसे 
पतंग , मांझा अपनी मस्ती में डोले 
एके दूसरे का सहारा बने विश्वास की डोर बांधे
 उत्सव है पतंग-मांझे का

आज परिवार संग सब मिलकर उड़ाएंगे पतंग
पतंग -मांझा का विश्वास दिलोमे जगायेंगे 
पतंग को कटना है , होना है दूर मांझे से
फिर भी मांझे से बंधी प्रेम, विश्वास की डोर 
उत्सव है पतंग-मांझे का

                            ❤️में ओर मेरे एहसास❤️

ली..निखलेश गेलड़ा शाह

©Nikhalesh Maheshwari Shah Nik
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