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परछाई जिस गली से आगे जा रहा था थोड़ा प्रकाश टिमटि

परछाई

जिस गली से आगे जा रहा था
थोड़ा प्रकाश टिमटिमा रहा था
परछाईं भी आगे आने लगी थी
आकार अपना बढ़ाने लगी थी
कुछ दूर चल कर लुप्त हो जाती
पुनः निकल कर फिर आ जाती
सिलसिला यही चले जा रहा था
मेरे दिल को भी धड़का रहा था
मैंने रोक कर पूछा तब उसको
क्या हुआ क्यों डरा रही मुझको
परछाईं बोली फिर जब मुझसे
तेजी से नहीं चला जाता तुझसे
देख मैं आगे निकल चुकी अब
और तुम भी आगे बढ़ोगे कब
मैंने कहा तुम मेरी परछाईं हो
इसलिए मुझसे आगे आई हो
जब तक है ये बल्ब की रोशनी
तब तक आगे ही रहोगी दौड़ती
जैसे ही ये कभी भी बुझ जाएगा
तेरा आगे बढ़ना भी रुक जाएगा
रोशनी से ही तुम्हारा अस्तित्व है
मुझसे हो यही मेरा व्यक्तित्व है
परछाईं बिना कहे निकल चुकी थी
अपनी राह अब वो पकड़ चुकी थी
...................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #परछाई #nojotohindi 

परछाई

जिस गली से आगे जा रहा था
थोड़ा प्रकाश टिमटिमा रहा था
परछाईं भी आगे आने लगी थी
आकार अपना बढ़ाने लगी थी
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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#परछाई #nojotohindi परछाई जिस गली से आगे जा रहा था थोड़ा प्रकाश टिमटिमा रहा था परछाईं भी आगे आने लगी थी आकार अपना बढ़ाने लगी थी #Poetry #sandiprohila

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