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कभी खामोशी को जीया है? जब सांसें हमारे होने का एह

कभी खामोशी को जीया है?
जब सांसें 
हमारे होने का एहसास कराती है?
जब धड़कने इस दुनिया में 
हमारा वजूद दर्शाती है?
जब खुद के होने में खुशी मिलती है।
जब औरों की जरूरत 
हमें कम दिखती है।
जब हम खुद से एकाकार होते है,
तब भीड़ में छुपे हम,
खामोशी में खुद से मिलते है।

©Rudeb Gayen
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