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अश्क बेजा बहा दिये हैं फुरकत में। क्या कहूँ कुछ

अश्क बेजा  बहा दिये  हैं फुरकत  में।
क्या कहूँ कुछ मिला नहीं मोहब्बत में।।
किस जगह आज खो गये मालूम नहीं-
काटते हैं  सजा यहाँ  हम उलफत में।।

©Godambari Negi
  #मुक्तक