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उसकी आँखें उसकी आंखें खामोशी में भी सौ












उसकी आँखें

उसकी आंखें खामोशी में भी सौ बातें करती हैं,
मैं सुनता हूं सम्मोहित होकर ,
 वो मन के सारे राज़ कहती है,
कभी नम पलके, कभी शरारत और कभी हया,
कभी कनखियों से छुप के चोर निगाहों से देखना ,
मैने देखा है, सुना है और समझा है बहुत ,
उन आंखों की जुबा में वो बहुत कुछ कहती है |

अक्सर जब वो होठ और लफ़्ज़ कोई नागुज़र कह दें,
उसकी आँखें झट से ही विद्रोह करती है,
और मन के भेद कहती है,
कभी लफ्जो, कभी लहज़े कभी रूखे अंदाज से ,
वो ऊपर से बेरुखी और अंदर दिल्लगी ,
मैने देखा है , सुना है और समझा है बहुत ,
उन आंखों की जुबां में वो बहुत कुछ कहती है ।

उसकी आँखें ख़ामोशी में भी सौ बातें करती है...
मैं सुनता हूं सम्मोहित होकर ,
वो मन के सारे राज़ कहती है ।

©Manas K M Agrawal
  #बस_यूं_ही