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// यादों के गुलाब // छुपा रखा है आज भी मैंने वो

// यादों के गुलाब //


छुपा रखा है आज भी मैंने वो तेरा गुलाब 

दिया था जो तूने पर ओढ़ रखा था नकाब

वक्त लौट आता है यादों का गुलाब जब खिल जाता है 

होता क्या हाल न पूछना, न दे सकेंगे जवाब। 

छुपा रखा है.....


लफ्जों में हम बयाॅं नहीं कर पाए 

हाल-ए-दिल कैसे हम तुमको बताएं

क्या सितम ढाता है मुझपे तेरा शबाब

किस क़दर तुमसे उल्फ़त है हमको बेहिसाब।

छुपा रखा है......


सूखते ही नहीं तेरी यादों के गुलाब 

महकते हैं आज भी तेरी यादों के गुलाब

क़ल्ब-ए-दिल की हलचल कोई पूछे तो ज़रा 

मीठी सी अगन लगा जाते ये मोहब्बत के गुलाब

छुपा रखा है आज भी मैंने वो तेरा गुलाब 

दिया था जो तूने पर ओढ़ रखा था नकाब

©Archana Verma  Singh
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