छल के छलावे से जूझते हुए कटी है जिंदगी उन्हें क्या पता किस दर्द के इलाके से गुजरी है जिंदगी चुकाया है जरा जरा सी मुस्कुराहट का मोल भी उन्हें क्या पता किस भाव खरीदी हमने नाजुक सी खुशी बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाज़ुक सी खुशी ख़्वाबों की दुनिया