अगर अपनी कहानी चाहिए थी तुम्हे आवाज़ उठानी चाहिए थी जलाये खत तो मैंने राख उठाई तुम्हारी इक निशानी चाहिए थी बरी, मुजरिम को फिर से कर दिया है सजा कुछ तो सुनानी चाहिए थी जो ये तलवारें ले कर चल रहे है दवा उनको लगानी चाहिए थी ग़ज़ल में लहज़ा आना लाज़िमी था ज़ुबाँ हिन्दोस्तानी चाहिए थी बहर में कहना ही काफी नहीं है ग़ज़ल भी पुर-मआनी चाहिए थी ये ज़ख्म ए पिन्हाँ भर भी सकते थे 'अंश' तिरी शीरी-ज़बानी चाहिए थी 1222 1222 122 ग़लतियों से ज़रूर अवगत कराएं पुर मआनी --- अर्थ से भरी हुई ज़ख्म ए पिन्हाँ -- छिपे हुए घाव/ प्यार के घाव शीरी-ज़बानी --- मीठी बोली, #yqdidi #yqbaba #love #life #vishalvaid #bestyqhindiquotes #विशालवैद