कोरा काग़ज़ विशेष प्रतियोगिता-28 विषय :- प्रकृति का सौंदर्य प्रकृति हमारी सबसे प्यारी, रूप इसका सुहाना है। कल-कल करते बहते झरनों का दिल मेरा दीवाना है। हर तरफ फैली हरियाली, सौंदर्य इसका लुभावना है। दुल्हन सी सजी इस धरती का दिल मेरा दीवाना है। मद्धम बहती शीतल हवा में, मन को आज बहकाना है। चहुँओर फैली इस खुशबू का, दिल मेरा दीवाना है। ऊँचे पर्वत बादलों को चूमते, नज़ारा ये भी सुहाना है। इंद्रधनुष के इन सात रंगों का, दिल मेरा दीवाना है। साँझ सबेरे सूरज की लालिमा, प्रकृति का खज़ाना है। पूनम की रात में पूरे चाँद का दिल मेरा दीवाना है। बूँद बूँद गिरता है अमृत, बारिश तो एक बहाना है। इन घनघोर काले बादलों का दिल मेरा दीवाना है। पंछियों की मीठी बोली का, गीत यही गुनगुनाना है। इनकी मीठी चहचहाहट का, दिल मेरा दीवाना है। फूलों की भीनी खुशबू में, हमको आज खो जाना है। रंग-बिरंगे ख़ूबसूरत फूलों का, दिल मेरा दीवाना है। कोरा काग़ज़ विशेष प्रतियोगिता-28 विषय :- प्रकृति का सौंदर्य प्रकृति हमारी सबसे प्यारी, रूप इसका सुहाना है। कल-कल करते बहते झरनों का दिल मेरा दीवाना है। हर तरफ फैली हरियाली, सौंदर्य इसका लुभावना है। दुल्हन सी सजी इस धरती का दिल मेरा दीवाना है।