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खुशबू तेरे इत्र जानी पहचानी लगती है, चंचलता ऐसी मा

खुशबू तेरे इत्र जानी पहचानी लगती है,
चंचलता ऐसी मानो सावन मेह बरसती है!
भूली होगी बेसक तू मुझको,
पर इसमें महक...अब मेरी महकती है!!

©Faniyal
  #mahak