कुछ ख्वाहिशें थी गुमशुदा सी, कुछ अधूरी चाहतें थी, कुछ टूटे रिश्तों की अस्थियाँ, और एक खोया हुआ लम्हा.. कुछ और भी था शायद उस गुल्लक में, जिसे तोड़ दिया तुमने और बिखेर दिया रात के अंधेरे में, और मैं खड़ी रही हतप्रभ सी.. #गुल्लक