Nojoto: Largest Storytelling Platform

#OpenPoetry ।।महाभारत ।। शंकित मन तड़पता हो। कौरव

#OpenPoetry ।।महाभारत ।।

शंकित मन तड़पता हो।
कौरव-पांडव सेनाएँ दो।
सत्य शोध में तुम जब रत
तब मन में महाभारत हो।

मूंद के चक्षु मन से देख।
भले-बुरे के मध्य की रेख।
धर्म रथ पर हो आरूढ़ 
केशव कहाँ खड़े ये देख?

माधव संस्कारों में तेरे।
शुभेच्छा से तुझको घेरे।
हो आश्वस्त तू आगे बढ़
छंट रहे बादल घने-घनेरे।

फिर से अब तू चुप है क्यों?
पद-चाप सुप्त-सुप्त सी क्यों?
क्या तेरे कदमों को रोके
मुड़के पीछे तू देखे क्यों?

वीर कभी नहीं घबराते !
मुड़-मुड़ के नहीं पछताते।
कर्म क्षेत्र ये धर्म क्षेत्र 
दृढ़ निश्चयी कब घबराते?

संग तेरे वो परमात्मा ।
अजर-अमर अजन्मा ।
उसी का मात्र एक तू अंश
सत्य अविनाशी आत्मा ।
।।मुक्ता शर्मा ।। #OpenPoetry #muktamusafirparinde #life #philosophyoflife #mahabharat
#OpenPoetry ।।महाभारत ।।

शंकित मन तड़पता हो।
कौरव-पांडव सेनाएँ दो।
सत्य शोध में तुम जब रत
तब मन में महाभारत हो।

मूंद के चक्षु मन से देख।
भले-बुरे के मध्य की रेख।
धर्म रथ पर हो आरूढ़ 
केशव कहाँ खड़े ये देख?

माधव संस्कारों में तेरे।
शुभेच्छा से तुझको घेरे।
हो आश्वस्त तू आगे बढ़
छंट रहे बादल घने-घनेरे।

फिर से अब तू चुप है क्यों?
पद-चाप सुप्त-सुप्त सी क्यों?
क्या तेरे कदमों को रोके
मुड़के पीछे तू देखे क्यों?

वीर कभी नहीं घबराते !
मुड़-मुड़ के नहीं पछताते।
कर्म क्षेत्र ये धर्म क्षेत्र 
दृढ़ निश्चयी कब घबराते?

संग तेरे वो परमात्मा ।
अजर-अमर अजन्मा ।
उसी का मात्र एक तू अंश
सत्य अविनाशी आत्मा ।
।।मुक्ता शर्मा ।। #OpenPoetry #muktamusafirparinde #life #philosophyoflife #mahabharat