असीर-ए-ज़ब्त थे क़फ़स जिस्त मे हम, मिलना तेरा क्यूं रिहाई लगा, पैगाम था वो मोहब्बत का मेरी, जो चंद अल्फाजों मे लिपटा स्याही लगा। असीर- कैद कफ़स-पिंजडा जिस्त- जिंदगी #yqquotes #forever #unme