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कोरे कागज पर मेरे तक़दीर की स्याही आँब-ए-रवाँ सी बह

कोरे कागज पर मेरे तक़दीर की स्याही आँब-ए-रवाँ सी बह गई,

मैं मुरीद इश्क-ए-तम्मनाओं का,वो बेमुराद मुराद पूरी कर गई।

मैं चाहतों का शिकारी वो मिरी चाहतों में कुछ इस कदर सिमट गई,

पूरी हो वो हसरतें, जो तेरे मेरे दरम्यान थी ,ये फासले ही कम कर गई। #तक़दीर_की_स्याही_team_alfaz 
#newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

  *तक़दीर की स्याही*
कोरे कागज पर मेरे तक़दीर की स्याही आँब-ए-रवाँ सी बह गई,

मैं मुरीद इश्क-ए-तम्मनाओं का,वो बेमुराद मुराद पूरी कर गई।

मैं चाहतों का शिकारी वो मिरी चाहतों में कुछ इस कदर सिमट गई,

पूरी हो वो हसरतें, जो तेरे मेरे दरम्यान थी ,ये फासले ही कम कर गई। #तक़दीर_की_स्याही_team_alfaz 
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  *तक़दीर की स्याही*

#तक़दीर_की_स्याही_team_alfaz #newChallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *तक़दीर की स्याही* #YourQuoteAndMine