*📝“सुविचार"*📚 ✍🏻*“15/9/2021”*🖋️ 📘*“ बुधवार ”*✨ इस “संसार” में हमें “प्रकाश” कहा से मिलता है? इसका बड़ा सरल सा “उत्तर” है... “भौर” में जब “सूर्योदय” होता है तो “प्रकाश की किरणें” आती है हमारे “घर” में वैसे ही हमें “प्रकाश” प्राप्त होता है, अब इस “प्रकाश” के आधार पर हम अपने “दिनभर के कार्य” करते है, “संध्याकाल” होती है “सूर्यास्त” होने लगता है, तो हमारे “घर” में “अंधकार” न हो जाए इसलिए हम “दीपक प्रज्वलित” 🪔करते है, इसी प्रकार है हमारा “जीवन” में यदि “ढलती आयु” के साथ हम अपने भीतर “प्रकाश जाग्रत” कर ले तो बात ही कुछ और होगी, अब आप सोच रहे होंगे कि किस मैं किस “प्रकाश” की बात कर रहा हूं, जो हमारे “भीतर” जाग्रत हो सकता है, हमारी “आत्मा” में “प्रेम का प्रकाश” जाग्रत करने की बात कर रहा हूं, हमारा ये “जीवन” ये भी “दिन” की भांति ही है आज “प्रकाश” है तो कभी “अस्त” भी होगा, किंतु “अस्त से पूर्व” यदि हम अपनी “आत्मा” में “प्रेम का ये प्रकाश” यदि “प्रज्वलित” कर ले तो हमारी “संध्याकाल” भी “प्रेम” और “आनंद” में बितेगी... *अतुल शर्मा🖋️📝* ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“15/9/2021”*🖋️ 🌧️ *“ बुधवार ”*🌦️ #“संसार” #“प्रकाश”