Nojoto: Largest Storytelling Platform

परमात्मा, का #उत्कर्ष______ प्रथम__ तो, संपूर्ण ब

परमात्मा, का #उत्कर्ष______

प्रथम__ तो, संपूर्ण ब्रह्मांड ही एक जीव है,,ये, आनंत्त,,आभाष होते हुए भी,,परमात्मा के लिए,इतना सूक्ष्म है की,,ये, परमात्मा के, उदर में समाया हुआ है,,,

उस,अनवरत,, आनंद भाव के अतिरेक में,, हर तरफ प्राण, प्रवाह है,,

मूल ब्रह्म  माता ही परमात्मा है,,, #हिरण्य_गर्भा ____
तीनो देव ,ब्रह्मा, विष्णु महेश___ जिसके, संतान है,,
कई लोक, लोकांतर,का तर्पण करते हुए,,, तीनों देव को तृप्त,कर ही
कोई,परम तपस्वी, उस,,परम सुख,,आनंद ,को प्राप्त कर 
पाता है,,

तभी तो,, वेद, वेत्ता कहते हैं,, की, प्रकृति की पूजा प्रथम है,, जहां,,वो मानस,, सच्चे भक्ति प्रेम,, और श्रद्धा वश,,,
सिर्फ,, तुम्हारे,, वात्शल्य,, का अक्षुण्ण,आनंद,,चाहता है,,

वो, #परम, सत्य__ परम् भाव,, का, महा,,आनंद,,,अनंत,स्फूरन__ है,,,
स्वयं के,भावनाओ,के, परीशुद्ध,  निस्वार्थ,निराभिमान,, विवेकी,मन,, उस,पूर्ण अक्षर, सार,तत्व,को पा,
ही लेगा,,,

वो,#महिषी___ रहस्य, ही जिनका ,स्वरूप हे, 
आजतक जिसे कोई जान ना पाया,,
प्रिय #भाईयो,,आज मैं बताने का प्रयास कर रहा हूं,,,

जैसे, विभिन्न, वस्तु अन्न्न मोदन,का अपना अपना स्वाद,है,,ऐसे उस,, जगत जननी,के, वात्शल्य,प्रेम का अपना चरम , स्वाद है,,, 

जिसको,पा कर ही,संत जन, आनंद के उस सर्वोच्च,,स्थाई, भाव,स्थिति,,को प्राप्त,,,होते हैं,, 

भावनाओ,के परिशिमन,, एक, सच्चा पुरुषार्थ,, उसका,शुभ परिणाम,, फिर, उसका,,आनंद भोग,, फिर,, आत्मिकसंतुष्टि,,,यही,, वो,मार्ग है,की, हमलोग,,मुक्त होंगे,,, 

ऐसे तो, बहु,विधा, उसी की ,है,, पर, परमात्मा,का, सहकार,एक,संतुष्ट,तृप्त मन है,,, 
जो,सिर्फ,कर्मो के द्वारा,हासिल किया जा सकता,है,,,
इसलिए,स्वयं श्री कृष्ण भी,, दुनिया को , कर्म योग का पाठ,, सिखाया,,, 

जीवन,के पथ में,, परमार्थ के हेतु,समर्पित, मानव,,, 
उस, परम भाव, परम आनंद को पा लेगा,, 
जो,, सिर्फ,, जो एक,, मातृत्व ,का,अखंड 
वात्शल्या, आनंद है,,,

हरि ॐ 🌺🌹🙏

©Rahul shekhavat
  #Colors