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BANDHETIYA OFFICIAL
White वो परम पुरुष जिसकी बनावट से परे, परित: कुछ भी नहीं है, वह स्वयं भी उससे बाहर नहीं है, अंदर,बाहर कहके कुछ नहीं है, पूरा ब्रह्मांड उसी में है,वही है, वसन,वासन के नाम पर भी कुछ नहीं है, जैसे हमारी आपादमस्तक नग्न काया, बस उसी के प्रतिरूप हम, हम उसी को स्वयं को समर्पित मानते हैं, ये लौ जब मिट्टी ढहाके निकलेगी, तब स्वयं को सोचता हूं, आंत्र,मल, मूत्र से विसर्जित मैं, उसके कोमल हृदय स्पंदन में जा बसूं, जहां से फिर जठराग्नि में पड़कर, मल, पित्त,कफ,स्वेद बनना न पड़े, हे परमात्मा परम पुरुष! ©BANDHETIYA OFFICIAL #परम पुरुष का हृदय स्पंदन बनूं।
#परम पुरुष का हृदय स्पंदन बनूं।
read morePradyumn awsthi
अगर हर आदमी अपने जीवन के परम उद्देश्य के बारे में चिंतन और मनन करे और उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपने पूरे तन,मन से उस परम उद्देश्य की पूर्ति के लिए समर्पित हो जाए तो हर आदमी का जीवन साकार, सफल हो जाता है और वह इंसान एक महान महापुरुष बन जाता है। ©"pradyuman awasthi" #परम उद्देश्य जीवन का
#परम उद्देश्य जीवन का
read morePradyumn awsthi
हर इंसान के जीवन में अच्छे घनिष्ठ मित्र का होना बहुत ही जरुरी होता है , क्योंकि एक अच्छा घनिष्ठ मित्र हमेशा , सौ अच्छे लोगों के बराबर ही होता है। ©"pradyuman awasthi" #परम मित्र
#परम मित्र
read moreRahul shekhavat
परमात्मा, का #उत्कर्ष______ प्रथम__ तो, संपूर्ण ब्रह्मांड ही एक जीव है,,ये, आनंत्त,,आभाष होते हुए भी,,परमात्मा के लिए,इतना सूक्ष्म है की,,ये, परमात्मा के, उदर में समाया हुआ है,,, उस,अनवरत,, आनंद भाव के अतिरेक में,, हर तरफ प्राण, प्रवाह है,, मूल ब्रह्म माता ही परमात्मा है,,, #हिरण्य_गर्भा ____ तीनो देव ,ब्रह्मा, विष्णु महेश___ जिसके, संतान है,, कई लोक, लोकांतर,का तर्पण करते हुए,,, तीनों देव को तृप्त,कर ही कोई,परम तपस्वी, उस,,परम सुख,,आनंद ,को प्राप्त कर पाता है,, तभी तो,, वेद, वेत्ता कहते हैं,, की, प्रकृति की पूजा प्रथम है,, जहां,,वो मानस,, सच्चे भक्ति प्रेम,, और श्रद्धा वश,,, सिर्फ,, तुम्हारे,, वात्शल्य,, का अक्षुण्ण,आनंद,,चाहता है,, वो, #परम, सत्य__ परम् भाव,, का, महा,,आनंद,,,अनंत,स्फूरन__ है,,, स्वयं के,भावनाओ,के, परीशुद्ध, निस्वार्थ,निराभिमान,, विवेकी,मन,, उस,पूर्ण अक्षर, सार,तत्व,को पा, ही लेगा,,, वो,#महिषी___ रहस्य, ही जिनका ,स्वरूप हे, आजतक जिसे कोई जान ना पाया,, प्रिय #भाईयो,,आज मैं बताने का प्रयास कर रहा हूं,,, जैसे, विभिन्न, वस्तु अन्न्न मोदन,का अपना अपना स्वाद,है,,ऐसे उस,, जगत जननी,के, वात्शल्य,प्रेम का अपना चरम , स्वाद है,,, जिसको,पा कर ही,संत जन, आनंद के उस सर्वोच्च,,स्थाई, भाव,स्थिति,,को प्राप्त,,,होते हैं,, भावनाओ,के परिशिमन,, एक, सच्चा पुरुषार्थ,, उसका,शुभ परिणाम,, फिर, उसका,,आनंद भोग,, फिर,, आत्मिकसंतुष्टि,,,यही,, वो,मार्ग है,की, हमलोग,,मुक्त होंगे,,, ऐसे तो, बहु,विधा, उसी की ,है,, पर, परमात्मा,का, सहकार,एक,संतुष्ट,तृप्त मन है,,, जो,सिर्फ,कर्मो के द्वारा,हासिल किया जा सकता,है,,, इसलिए,स्वयं श्री कृष्ण भी,, दुनिया को , कर्म योग का पाठ,, सिखाया,,, जीवन,के पथ में,, परमार्थ के हेतु,समर्पित, मानव,,, उस, परम भाव, परम आनंद को पा लेगा,, जो,, सिर्फ,, जो एक,, मातृत्व ,का,अखंड वात्शल्या, आनंद है,,, हरि ॐ 🌺🌹🙏 ©Rahul shekhavat #Colors
Ravikesh Kumar Singh
"क्रिया और प्रतिक्रिया परम सत्य है " कुछ लोगों का मानना है की औलाद बड़े होकर नालायक होते हैं, किंतु यह भूल जाते हैं की बच्चे तो बच्चे होते हैं, उसे लायक या फिर नालायक हम माता-पिता ही बनाते हैं, जिस घर में बच्चे को बचपन काल से बच्चों - बच्चों में भिन्नता देखने को मिली हो बचपन से ही बच्चे माता पिता के प्यार से वंचित रहे हो, या फिर यूं कह सकते हैं जिन माता पिता को अपने बच्चे के प्रति समय का अभाव रहा हो, और किसी कारण बस से बच्चे को नजर अंदाज किया गया हो वह बच्चे बड़े होकर उसी चीज को दोहराते हैं, क्योंकि बचपन का दिया हुआ संस्कार बच्चों को बड़े तक याद रहता है और बच्चे भी माता-पिता को कुछ नजर अंदाज करके चलने लगते हैं, इसका अहम कारण आप यह मान सकते हैं जिस बच्चे को माता पिता के प्यार का एहसास हुआ ही ना हो, या फिर हुआ भी हो और बच्चों बच्चों में भिन्नता देखने को मिली हो सामान्यता नसीब ना हो वह बच्चे बड़े होकर भला क्या आपने माता पिता की कद्र करेंगे, बच्चे का मन कोरा कागज होता है ,इसलिए माता-पिता को चाहिए कि खुद वह सू संस्कारी बने और बच्चों के लिए समय निकालें क्योंकि उन्हें पता नहीं कि बच्चे उन्हें फॉलो कर रहे होते हैं बच्चे सबसे ज्यादा नकल अपने माता-पिता के ही करते हैं क्योंकि वह माता पिता के बीच रहते हैं, तो माता-पिता को चाहिए अपने से बड़ों की आदर करें और अपने से बड़ों के लिए समय निकालें और वह अपने माता पिता का सम्मान करें और अपने माता-पिता के लिए समय निकालें तभी उनके बच्चे उनके लिए समय निकाल पाएंगे, क्योंकि बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं बच्चे की आदत होती है नकल करने की घर के बड़ों को चाहिए बच्चे के लिए भी समय निकालें और बच्चे की हर एक मनोदशा को समझने का प्रयास करें और बचपन काल से ही सू संस्कारी बनाने में अपनी भागीदारी निभाएं तब कहीं जाकर आप इस चीज की अपेक्षा कर सकते हैं कि आपके बच्चे आपके लिए समय निकाल पाएंगे और आपके लिए आप का दिया हुआ प्यार शायद शुध समेत वापस कर पाएंगे और इन सब चीजों को ना करने पर यह कयास लगाना मूर्खता है कि बच्चे बड़े होकर हमारे लिए समय निकालेंगे और बिना हमारे इन सब कर्मों को किए हुए वह हमें इतना प्यार करेंगे इस चीज की अपेक्षा रखना गलत होगा कहा गया है हम सुधरेंगे जग सुधरेगा हम अच्छे होंगे हमारे बच्चे अच्छे होंगे पहले खुद को अच्छे बनके अपने बच्चे को दिखाना होगा फिर उनसे आशाएं अभिलाषाएं लगाना जायज करार दिया जाए अन्यथा कहावतओं में भी है जो हम बोते हैं वही हमें काटना पड़ता है या फिर न्यूटन के सिद्धांतों को भी आप ले सकते हैं प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है और आप यह भी कह सकते हैं रोपे पेड़ बबूल के तो आम कहां से खाए ©Ravikesh Kumar Singh #क्रिया #और #प्रतिक्रिया #परम #सत्य #है
शून्य(ब्राह्मण)
राधे राधे मन को बांधना सीखिए , बिना मन को स्थिर किए आप साधना ,योग अथवा आत्मीय ज्ञान को हासिल नहीं कर सकते। ©शून्य #सत्य #जीवन #परम #ज्ञान #योग #अध्यात्म #आनंद #शांति
Poetry with Avdhesh Kanojia
गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी परम शांत जय गणनायक। अतुलनीय छवि भालचन्द्र जय स्कलपूज्य जय वरदायक।। अभय प्रदाता जय सुख दाता जय परब्रह्म जय अविनाशी । परम शान्त सुखराशि गजानन एकदंत सब घट वासी।। जय चर्चित चंदन प्रभु तव वन्दन धूम्रवर्ण जय पाप शमन। सकल जीव तव सुत शिवनंदन चरण कमल शत कोटि नमन।। ✍️अवधेश कनौजिया© गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी
गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी
read moreKUNDAN KUNJ
Feeling ***प्रार्थना *** कलम, कापी हो परम हथियार, हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो। रहे मस्तक गर्व से ऊंचा सदा तेरी ऐसा हम पर एक कृपा करो।। भाईचारा और प्रेम भाव का हर पल हम पर वर्षा करो । विनाश हो कुविचार मन का ऐसा ज्ञान दीप का प्रभा करो।। आए अमन फिर से इस घाटी में एक नया स्वर्ग का विस्तार करो।। कलम, कापी हो परम हथियार, हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो।। गले का फंदा था बना हमारा, 370 और 35 ए का धारा । जिहाद और लुटेरों से भरा परा था हमारी ये स्वर्ग की पावन धरा।। फन लगाए बरसों से बैठा था देश द्रोहियों का एक विचार धारा।। तपिश और असहनीय दर्द को झेल रहा था बरसों से तेरी माटी के ही संतान सारा।। विमुक्त हुए हैं हम अभी अभी ही बस फिर से अमन चैन का विस्तार करो।। कलम, कापी हो परम हथियार, हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो।। ***प्रार्थना *** कलम, कापी हो परम हथियार, हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो। रहे मस्तक गर्व से ऊंचा सदा तेरी ऐसा हम पर एक कृपा करो।। भाईचारा और प्रेम भाव का हर पल हम पर वर्षा करो । विनाश हो कुविचार मन का
***प्रार्थना *** कलम, कापी हो परम हथियार, हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो। रहे मस्तक गर्व से ऊंचा सदा तेरी ऐसा हम पर एक कृपा करो।। भाईचारा और प्रेम भाव का हर पल हम पर वर्षा करो । विनाश हो कुविचार मन का
read morePriyanshu Agnihotri
...रक्षाबंधन विशेष ... एक सत्य औऱ एक परम है, यह स्वीकार्य हमारा है । मत बहे तेरी आंखों से आँसू, यह कर्तव्य हमारा है । बहना तू सर्वस्व जगत की , रक्षा कर बांधो डोरी । डोर बोल तुम प्यार बांध दो , यह सौभाग्य हमारा है । इस रक्षा के अवसर पर , हर अनुदान तुम्हारा है। माग सको गर मांगो कुछ भी, अब यह भ्रात तुम्हारा है । बहन तेरा आशीष रहूँ मैं , अंतिम सौभाग्य हमारा है । एक सत्य औऱ एक परम है , यह स्वीकार्य हमारा है।