ऐसे थे दुष्यंत कुमार ************************************ एक-एक शेर में इतनी धार, हर ग़ज़ल जैसे की तलवार। ग़ज़ल का रूप बदलकर के, दिया क्रांति का नया आकार। सारी ग़ज़लें सरल भाषा मे, और ग़ज़लें सभी असरदार। ग़ज़ल लिखकर के जिसने, हिला डाली सारी ही सरकार। न डरे, वो लिखते थे बेबाक, ऐसे थे महाकवि दुष्यंत कुमार। ************************************ ✍🏽 सामंत कुमार झा 'साहित्य' 🏡 मधुबनी, बिहार ©Samant Kumar Jha Samant #दुष्यंत_कुमार #गजलें #क्रांति #MereKhayaal