जगाकर वो स्वयं ही सो रहा है। दिया है दाग कोई धो रहा है। नई पीढ़ी के चलते देश मेरा, हमारी संस्कृति को खो रहा है। प्रभू इस बार बादल भेज देना, कृषक उम्मीद करके बो रहा है। स्वयं के रक्त से सींचा जिसे थे, वही अब अजनबी सा हो रहा है। बहुत उलझा हुआ है एक लड़का, नयन भर नीर कब से कर रो रहा है। #गीतिका_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #मनीष_मन