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कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है, ये वक्त है 'साहब' बद

कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है,
ये वक्त है 'साहब' बदलता जरूर है।


















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©Mukesh Poonia
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ये #वक्त है '#साहब' #बदलता जरूर है।
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Mukesh Poonia

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कितना भी #पकड़ो #फिसलता #जरूर है, ये #वक्त है '#साहब' #बदलता जरूर है। #विचार

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