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**!!** निगाहों में निगाहें **!!** !!!!!!!!!!!!!!!!

**!!** निगाहों में निगाहें **!!**
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जब निगाहों  में निगाहें  डालकर  देखता  हूं  तुम्हें,
मूर्ख आंखें मेरी थर-थरा जाती है।

अहंकार भरे लफ्जों से तुम्हें कुछ कहना चाहता हूं,
खोपड़ी में मेरे तूफान आ जाती है।

सोचता हूं बाहों में जकड़ लूं कसकर तुम्हें,
क्या  करुं बदन  ठंडी पर जाती है।

दिल  अवाक  है तुमसे इतने  करीब से  मिलकर,
रहस्यमई दृष्टि कुछ अलग आभास कराजाती है।

जब निगाहों में निगाहें डालकर देखता हूं तुम्हें,
मूर्ख आंखें मेरी थर-थरा जाती है।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar #निगाहों में निगाहें
**!!** निगाहों में निगाहें **!!**
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जब निगाहों  में निगाहें  डालकर  देखता  हूं  तुम्हें,
मूर्ख आंखें मेरी थर-थरा जाती है।

अहंकार भरे लफ्जों से तुम्हें कुछ कहना चाहता हूं,
खोपड़ी में मेरे तूफान आ जाती है।

सोचता हूं बाहों में जकड़ लूं कसकर तुम्हें,
क्या  करुं बदन  ठंडी पर जाती है।

दिल  अवाक  है तुमसे इतने  करीब से  मिलकर,
रहस्यमई दृष्टि कुछ अलग आभास कराजाती है।

जब निगाहों में निगाहें डालकर देखता हूं तुम्हें,
मूर्ख आंखें मेरी थर-थरा जाती है।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar #निगाहों में निगाहें

#निगाहों में निगाहें #शायरी