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White मुर्गा नोंचा, दारू डोंकी, गांजा खींच गये। जब

White मुर्गा नोंचा, दारू डोंकी, गांजा खींच गये।
जब जब आंख खुली रखनी थी तब तब मींच गये।
इसलिए तो सुनो एक दिन ऐसा गजब हुआ,,
लोकतंत्र का चौथा खंभा कुत्ते सींच गये।

-धीरज मिश्र शांडिल्य

©साहित्य संजीवनी
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