मै ही बहुत पसंद आती थी तब सखी सदा ख़ामोश रखती धी लब अब थोड़ा थोड़ा बोलने लगी हूं शायद खुद को टटोलने लगी हूं बोला करो जरा शराफत व सलीके से मुझे भी पसंद आती है बात तरीके से बबली गुर्जर ©Babli Gurjar पसंद वंदना .... चाँदनी