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सपने तोड़कर अपने, सपना हमारा सजाते हैं वो, जाड़ा,

सपने तोड़कर अपने, सपना हमारा सजाते हैं वो, 
जाड़ा, गर्मी,बरसात कुछ भी हो, काम पर रोज निकल जाते हैं वो, 
कम पड़ जाएगा, ए मेरा जीवन सारा उनके कर्ज को उतारने में, 
तकलीफें कितनी भी हो, हमेशा मुस्कराते हैं वो।

©Ranjeet Kumar
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