वो वक़्त भी कितना खूबसूरत था जब हम तेरे शहर आने के मौके ढूँढा करते थे लेकिन कम्बख्त् बहाने न मिला करते थे अरे! आज तो ऐसा वक़्त है कि मौके खुद बार बार दस्तक दे रहे हैं इस दरवाजे पर लेकिन हम खुद को तेरी गलियों से रुखसत कर कमरे में बंद कर खुद को अब अकेले बैठे हैं अब अकेले बैठे हैं.....😶