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मिले कुछ ज़ख्म फिर ऐसे जो उम्रभर कहर ढ़हाएंगे खता

मिले कुछ ज़ख्म फिर ऐसे
जो उम्रभर कहर ढ़हाएंगे

खता किसी और की ज़ालिम
सज़ा मुझको सुनाएंगे

सभी यहां अन्धे है हाकिम
बहरे भी बन कर दिखाएंगे

एक बार फिर आज हम तो बेमौत मारे जाएंगे
कफन है साथ हरदम मातम खुद का ही मनाएंगे 

रहे खुश सदा वो कातिल दुआ यह दे कर जाएंगे
हवा जब रुख बदलेगी गढ़े मुर्दे गवाह बन जाएंगे 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  गवाह

गवाह #शायरी

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