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माना के वक़्त की कमी उधर भी है और इधर भी, फिर भी कु

माना के वक़्त की कमी उधर भी है और इधर भी,
फिर भी कुछ तो पल चुराया करो...
कुछ देर ही सही ,अपने प्यार को जताया करो..
वो बदमाशियां जो तब हुआ करती थी हमारे दरमियाँ,
फिर से कभी कभी दोहराया करो...
ज्यादा बड़ी कोई तमन्ना नही रखती हूं,
पर कभी तो वो अपनापन जताया करो ,
के जिसे सोच के ही रूह खुश हो जाया करती थी,
फिर से मुझे वो मेरा इश्क़ लौटाया करो ।
माना के वक़्त की कमी उधर भी है और इधर भी,
फिर भी कुछ तो पल चुराया करो...
कुछ देर ही सही ,अपने प्यार को जताया करो..
वो बदमाशियां जो तब हुआ करती थी हमारे दरमियाँ,
फिर से कभी कभी दोहराया करो...
ज्यादा बड़ी कोई तमन्ना नही रखती हूं,
पर कभी तो वो अपनापन जताया करो ,
के जिसे सोच के ही रूह खुश हो जाया करती थी,
फिर से मुझे वो मेरा इश्क़ लौटाया करो ।