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प्रिय ग़म तुमसे तुम्हारी खैरियत क्या पूछे सब तु

प्रिय ग़म

तुमसे  तुम्हारी  खैरियत क्या पूछे
सब तुमसे प्यार करने से कतराते

तुम्हें ख़त लिखूँ, ख़त में तुम्हारा ज़िक्र हो
तुम खटकते सब को फिर क्यों फ़िक्र हो

तुम और तुम्हारी सूरत कोई नहीं देखना चाहता, पर मुझे तुम फिर भी अजीज हो, जानते हो क्यों?

मैं बताता हूँ तुम्हें तुम मुझे बुरे क्यों नहीं लगते, क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत करीब से मेहसूस किया है या यूँ कहो कि तुम्हें मैंने अपने में बहुत बार जिया है, और जब आप किसी को अपने अंत: मन से जीते हो, वो कितना भी दुखदायी हो, आपका अपना ही रहता है..!

मैं अक्सर यह सोचता हूँ कि तुम कितने अकेले हो कि पूरे जहां में तुम्हें कोई अपने पास नहीं रखना चाहता  प्रिय ग़म

तुमसे  तुम्हारी  खैरियत क्या पूछे
सब तुमसे प्यार करने से कतराते

तुम्हें ख़त लिखूँ, ख़त में तुम्हारा ज़िक्र हो
तुम खटकते सब को फिर क्यों फ़िक्र हो
प्रिय ग़म

तुमसे  तुम्हारी  खैरियत क्या पूछे
सब तुमसे प्यार करने से कतराते

तुम्हें ख़त लिखूँ, ख़त में तुम्हारा ज़िक्र हो
तुम खटकते सब को फिर क्यों फ़िक्र हो

तुम और तुम्हारी सूरत कोई नहीं देखना चाहता, पर मुझे तुम फिर भी अजीज हो, जानते हो क्यों?

मैं बताता हूँ तुम्हें तुम मुझे बुरे क्यों नहीं लगते, क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत करीब से मेहसूस किया है या यूँ कहो कि तुम्हें मैंने अपने में बहुत बार जिया है, और जब आप किसी को अपने अंत: मन से जीते हो, वो कितना भी दुखदायी हो, आपका अपना ही रहता है..!

मैं अक्सर यह सोचता हूँ कि तुम कितने अकेले हो कि पूरे जहां में तुम्हें कोई अपने पास नहीं रखना चाहता  प्रिय ग़म

तुमसे  तुम्हारी  खैरियत क्या पूछे
सब तुमसे प्यार करने से कतराते

तुम्हें ख़त लिखूँ, ख़त में तुम्हारा ज़िक्र हो
तुम खटकते सब को फिर क्यों फ़िक्र हो

प्रिय ग़म तुमसे तुम्हारी खैरियत क्या पूछे सब तुमसे प्यार करने से कतराते तुम्हें ख़त लिखूँ, ख़त में तुम्हारा ज़िक्र हो तुम खटकते सब को फिर क्यों फ़िक्र हो #Kumaarsthought #yqletter #kumaarletter