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दोस्तों के भेस में.. मैंने कितने कमीने पाये हैं..

दोस्तों के भेस में..
मैंने कितने कमीने पाये हैं..

जितने भी घटिया दोस्त रहे..
सारे मेरे ही हिस्से आये हैँ..

आये हैं आधे उनके इल्जाम मुझ पर..
उनके हिस्से के आधे बिल भी मैंने ही चुकाये हैं..

फिर रही दोस्ती अब नहीं वैसी..
जब से दोस्तों नें अपने अपने घर बसाये हैँ..!!

सारे साले दोस्तों के भेस में मैंने..
कितने कमीने पाये हैं..!!

©Ritesh Raikwar
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