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क़ैदखाने सी है यह दुनिया, फिर भी मैं इसमें सलामत

क़ैदखाने  सी है  यह दुनिया, फिर भी मैं इसमें सलामत नहीं,
बाँधा जाता है पंखों को मेरे , जैसे कि मैं उन की अमानत नहीं।

पैदा होते ही थोप दिया गया , मर्यादाओं की गठरी को मेरे ऊपर,
कोई मुझको बताए आख़िर क्यों मेरे इस गुनाह की जमानत नहीं।

मेरा भी तो अपना कोई अस्तित्व है  इस जहाँ में तुम्हारी ही तरह,
बोझ समझ धकेलते हो इस घर से उस घर, मैं इस पर सहमत नहीं

मेरे सपने ,मेरी आकांक्षाएँ तोड़कर , भले ही रह लेना तुम सुखी, 
जान लो जो मैं नहीं तो पूरी होती उस ख़ुदा की इबादत भी नहीं।

जानती हूँ कि  बदलते हुए दौर ने मजबूर कर दिया है घबराने पर,
थाम लूँ अस्त्र फिर देखे मेरी ओर ऐसी किसी की हिमाकत नहीं।

मुझ में पलता जहाँ सारा है, मुझसे ही तो ये सकल चराचर निर्मित है,
अपमान और अत्याचार हो मुझ पर वहाँ ऊपर वाले की बरकत नहीं।

यूँ रोज-रोज मेरा तिल-तिल कर मरना बताओ कहाँ तक जायज है,
बहुत हुआ , बस मेरे ख़्वाबों और पंखों की अब और शहादत नहीं। सह लूँ सितम आसानी से,
ऐसी तो मेरी आदत नहीं। 😁



#pnpabhivyakti  #pnpabhivyakti3 #pnphindi  #अनाम_ख़्याल
क़ैदखाने  सी है  यह दुनिया, फिर भी मैं इसमें सलामत नहीं,
बाँधा जाता है पंखों को मेरे , जैसे कि मैं उन की अमानत नहीं।

पैदा होते ही थोप दिया गया , मर्यादाओं की गठरी को मेरे ऊपर,
कोई मुझको बताए आख़िर क्यों मेरे इस गुनाह की जमानत नहीं।

मेरा भी तो अपना कोई अस्तित्व है  इस जहाँ में तुम्हारी ही तरह,
बोझ समझ धकेलते हो इस घर से उस घर, मैं इस पर सहमत नहीं

मेरे सपने ,मेरी आकांक्षाएँ तोड़कर , भले ही रह लेना तुम सुखी, 
जान लो जो मैं नहीं तो पूरी होती उस ख़ुदा की इबादत भी नहीं।

जानती हूँ कि  बदलते हुए दौर ने मजबूर कर दिया है घबराने पर,
थाम लूँ अस्त्र फिर देखे मेरी ओर ऐसी किसी की हिमाकत नहीं।

मुझ में पलता जहाँ सारा है, मुझसे ही तो ये सकल चराचर निर्मित है,
अपमान और अत्याचार हो मुझ पर वहाँ ऊपर वाले की बरकत नहीं।

यूँ रोज-रोज मेरा तिल-तिल कर मरना बताओ कहाँ तक जायज है,
बहुत हुआ , बस मेरे ख़्वाबों और पंखों की अब और शहादत नहीं। सह लूँ सितम आसानी से,
ऐसी तो मेरी आदत नहीं। 😁



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सह लूँ सितम आसानी से, ऐसी तो मेरी आदत नहीं। 😁 #pnpabhivyakti #pnpabhivyakti3 #pnphindi #अनाम_ख़्याल