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Suchita Pandey

#अभिव्यक्ति_3 #औरत #pnpabhivyakti3 #pnphindi #pennpopcorn #yqbaba #pnpabhivyakti "अभिव्यक्ति - 3" // क़ैद // पर्दे में क़ैद, एक मासूम, औरत की रिहाई, बस जकड़ी हुई जंजीरें, हाथों की हथकड़ियाँ, मात्र से बयां नहीं हो सकती । उसकी घुटन, उसकी तड़प, रिहाई की आस, #सुचितापाण्डेय

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"अभिव्यक्ति - 3"        // क़ैद //
पर्दे में क़ैद, एक  मासूम, औरत   की   रिहाई, 
बस जकड़ी हुई जंजीरें, हाथों की हथकड़ियाँ, 
मात्र   से   बयां   नहीं   हो   सकती   । 
उसकी घुटन, उसकी  तड़प, रिहाई  की आस, 
कुछ   लफ़्ज़ों   में   बयां   न   हो   पायेगी । 
क्या   कभी   कोई   समझ   पायेगा  !!
उस मासूम की दर्द में  लिपटी हुई सिसकियाँ, 
उस पर होती  हुई  तल्ख़ियाँ, उनकी उपेक्षाएँ, 
कुछ   लफ़्ज़ों   में   बयां   न   हो   पायेगी  । 
क्या   कभी   कोई   समझ   पायेगा  !!
अपने   ही    घरौंदे   में   छटपटाती   मासूम , 
आबरू   खोती   है,   रो -रोकर ,
नोंचते   रहते   है  गिद्ध,   निडर   हो   कर । 
उस  मासूम के आँसु , उसकी बेबसी, उसकी
तड़प, उसकी सिसकियाँ, उसका लुटा जिस्म, 
वो बदनुमा दाग़, वो लूटी बची सी ज़िन्दगी..!!
क्या इन  कुछ  लफ़्ज़ों  में  बयां  हो  पायेगी ? 
क्या   कभी    कोई   समझ   पायेगा....! !

#सुचितापाण्डेय 


 #अभिव्यक्ति_3
#औरत 
#pnpabhivyakti3 #pnphindi #pennpopcorn #yqbaba #pnpabhivyakti 
"अभिव्यक्ति - 3"  // क़ैद //
पर्दे में क़ैद, एक  मासूम, औरत   की   रिहाई, 
बस जकड़ी हुई जंजीरें, हाथों की हथकड़ियाँ, 
मात्र   से   बयां   नहीं   हो   सकती   । 
उसकी घुटन, उसकी  तड़प, रिहाई  की आस,

Anamika Nautiyal

सह लूँ सितम आसानी से, ऐसी तो मेरी आदत नहीं। 😁 #pnpabhivyakti #pnpabhivyakti3 #pnphindi #अनाम_ख़्याल

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क़ैदखाने  सी है  यह दुनिया, फिर भी मैं इसमें सलामत नहीं,
बाँधा जाता है पंखों को मेरे , जैसे कि मैं उन की अमानत नहीं।

पैदा होते ही थोप दिया गया , मर्यादाओं की गठरी को मेरे ऊपर,
कोई मुझको बताए आख़िर क्यों मेरे इस गुनाह की जमानत नहीं।

मेरा भी तो अपना कोई अस्तित्व है  इस जहाँ में तुम्हारी ही तरह,
बोझ समझ धकेलते हो इस घर से उस घर, मैं इस पर सहमत नहीं

मेरे सपने ,मेरी आकांक्षाएँ तोड़कर , भले ही रह लेना तुम सुखी, 
जान लो जो मैं नहीं तो पूरी होती उस ख़ुदा की इबादत भी नहीं।

जानती हूँ कि  बदलते हुए दौर ने मजबूर कर दिया है घबराने पर,
थाम लूँ अस्त्र फिर देखे मेरी ओर ऐसी किसी की हिमाकत नहीं।

मुझ में पलता जहाँ सारा है, मुझसे ही तो ये सकल चराचर निर्मित है,
अपमान और अत्याचार हो मुझ पर वहाँ ऊपर वाले की बरकत नहीं।

यूँ रोज-रोज मेरा तिल-तिल कर मरना बताओ कहाँ तक जायज है,
बहुत हुआ , बस मेरे ख़्वाबों और पंखों की अब और शहादत नहीं। सह लूँ सितम आसानी से,
ऐसी तो मेरी आदत नहीं। 😁



#pnpabhivyakti  #pnpabhivyakti3 #pnphindi  #अनाम_ख़्याल


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