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धोखा चीन का मेरी माँ ने शेर जणया सै, ना उसका दूध

धोखा चीन का

मेरी माँ ने शेर जणया सै, ना उसका दूध लजाऊँगा।
रणभूमि में वीर लड्या करैं, ना पाछै कदम हटाऊंगा।।

भारत माँ का मैं वीर सिपाही, दयूं बॉर्डर ऊपर पहरा।
चौकी ऊपर खड़या तिरंगा, फर फर फर फर फहरा।
चौकस रहियो, चौकस रहियो, मेरा कमाण्डर कह रहा।
धोखेबाज लुटेरे चीनी, घात करैं घणा गहरा
सलूट मारके, अटेंशन होग्या, न पलक ताही झपकाउंगा।।

इतनी कहके सी ओ साहब, दौरा करने चल्या गया।
करके वायदा चीन भूलग्या, याद कराने चल्या गया।
बिन हथियारां बात करी पर, धोखे के मंह छल्या गया।
तू तू मै मै धक्कामुक्की, झगड़े में निहत्था दल्या गया।
बीस तीस चीनी कट्ठे आग्ये, एकला ए सबक सिखाऊंगा।।

भारत माँ के बीस लाड़ले, चीनीयां गेल्या भिड़गे।
बिन हथियारां टूट पड़े, फिर दुश्मन स्यामही अडगे।
चीनी ले रहे लाठी डंडे, हम ताल ठोंक के बड़गे।
भर भर कौली नाड़ तोड़ दी, चीनी ठंडे पड़गे।
कुछ मारे, कुछ नदी में गेरे, एक एक ने मजा चखाऊंगा।।

दहशत फैल गई चीनीयां में, छोरियाँ की ज्यूँ रोवें।
शव पे शव और टूटी गर्दन, रो रो मुंह ल्हकोवें।
हम बीस शेर हुए खेत देश पे, वे चालीस का शव ढोवें।
इब देख के शक्ल हम वीरों की, वे धरती में सिर गोवें।
करके देश सुरक्षित आनन्द, चिर निद्रा सो जाऊँगा।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया

©Anand Kumar Ashodhiya #धोखाचीनका

#हरयाणवी
धोखा चीन का

मेरी माँ ने शेर जणया सै, ना उसका दूध लजाऊँगा।
रणभूमि में वीर लड्या करैं, ना पाछै कदम हटाऊंगा।।

भारत माँ का मैं वीर सिपाही, दयूं बॉर्डर ऊपर पहरा।
चौकी ऊपर खड़या तिरंगा, फर फर फर फर फहरा।
चौकस रहियो, चौकस रहियो, मेरा कमाण्डर कह रहा।
धोखेबाज लुटेरे चीनी, घात करैं घणा गहरा
सलूट मारके, अटेंशन होग्या, न पलक ताही झपकाउंगा।।

इतनी कहके सी ओ साहब, दौरा करने चल्या गया।
करके वायदा चीन भूलग्या, याद कराने चल्या गया।
बिन हथियारां बात करी पर, धोखे के मंह छल्या गया।
तू तू मै मै धक्कामुक्की, झगड़े में निहत्था दल्या गया।
बीस तीस चीनी कट्ठे आग्ये, एकला ए सबक सिखाऊंगा।।

भारत माँ के बीस लाड़ले, चीनीयां गेल्या भिड़गे।
बिन हथियारां टूट पड़े, फिर दुश्मन स्यामही अडगे।
चीनी ले रहे लाठी डंडे, हम ताल ठोंक के बड़गे।
भर भर कौली नाड़ तोड़ दी, चीनी ठंडे पड़गे।
कुछ मारे, कुछ नदी में गेरे, एक एक ने मजा चखाऊंगा।।

दहशत फैल गई चीनीयां में, छोरियाँ की ज्यूँ रोवें।
शव पे शव और टूटी गर्दन, रो रो मुंह ल्हकोवें।
हम बीस शेर हुए खेत देश पे, वे चालीस का शव ढोवें।
इब देख के शक्ल हम वीरों की, वे धरती में सिर गोवें।
करके देश सुरक्षित आनन्द, चिर निद्रा सो जाऊँगा।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया

©Anand Kumar Ashodhiya #धोखाचीनका

#हरयाणवी