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गंभीर (दोहे) जीवन में संकट बड़े, हो जाते गंभीर। म

गंभीर (दोहे)

जीवन में संकट बड़े, हो जाते गंभीर।
मुश्किल आयी सामने, होते देख अधीर।।

रहते जो गंभीर हैं, कहते सभी सुजान।
हासिल कुछ होता नहीं, खोते भी पहचान।।

हो जाते गंभीर हैं, लेते दिल पर चोट।
बिगड़ रहा व्यवहार है, दिखता है फिर खोट।।

होते जो गंभीर हैं, आता उनको क्रोध।
सूझ रहा मस्तिष्क में, उनके कोई शोध।।

गरम हवा अब चल रही, लगे नहीं अनुकूल।
कलयुग का ये दौर है, बातों को दें तूल।।

आकर्षण अब दिख रहा, बच्चों में है आज।
घेरे अब गंभीरता, दिखे न उनमें लाज।।

फँस जाते जब जाल में, दिख जाती है भूल।
होते तब गंभीर हैं, चुभते उनको शूल।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
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