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दूर झितिज में सुरज ढलता है आसमान में नारंगी रंग बि

दूर झितिज में सुरज ढलता है
आसमान में नारंगी रंग बिखरता है

मौसम कुछ रूमानी सा हो गया है
मोहब्बत का एक नया रंग चढ़ता है

घुटनों के बल बैठकर इजहारे इशक मैं करता हूं
महबूबा के जवाब के इंतजार में,मेरा दिल धड़कता है

है दुआ रब से कबुल हो जाए मेरी मोहब्बत
एक उसकी हां का इंतजार मैं करता हूं।

©Amit Sir KUMAR
  #tereliye दुर क्षितिज में सुरज ढलता है...

#tereliye दुर क्षितिज में सुरज ढलता है... #कविता

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