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एक रोज देखा था वहीं, बरगद की छांव के नीचे बैठे थे

एक रोज देखा था वहीं,
बरगद की छांव के नीचे बैठे थे कहीं।
जिन्हें प्यार था हमसे कभी,
पहचान के भी हमको पहचाने नहीं।

©Diwan G #पहचान #बरगद #माहर_हिंदीशायर
एक रोज देखा था वहीं,
बरगद की छांव के नीचे बैठे थे कहीं।
जिन्हें प्यार था हमसे कभी,
पहचान के भी हमको पहचाने नहीं।

©Diwan G #पहचान #बरगद #माहर_हिंदीशायर