ग़ज़ल :- जब कभी बेटी से नफ़रत होगी । फिर उसी दिन देखो आफ़त होगी ।।१ जब तुमको उससे मुहब्बत होगी । फिर यही दुनिया ही जनन्त होगी ।।२ लूट की आज छुपाते दौलत । क्यों न बेटे की ही चाहत होगी ।३ छीन सकता नहीं कोई तुमसे । ज्ञान की पास जो दौलत होगी ।।४ दान कन्या का भी करके देखो । माँगने की क्या ये आदत होगी ।।५ बेटियां पाल नहीं सकते तो । क्या मिटाने की ही हिम्मत होगी ।।६ ज़िन्दगी ले आयी दो राहे पे । और अब क्या कयामत होगी ।।७ राह में छेड़ते जो बहनों को तो उनको भाई की जरुरत होगी ८ तू प्रखर सोचता कुछ ज्यादा है । तेरे दिल में क्या शराफ़त होगी ।।९ २४/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- जब कभी बेटी से नफ़रत होगी । फिर उसी दिन देखो आफ़त होगी ।।१ जब तुमको उससे मुहब्बत होगी । फिर यही दुनिया ही जनन्त होगी ।।२ लूट की आज छुपाते दौलत ।