खट्टी-मीठी ज़िंदगी गहन चिंतन जो तुम प्रेम का कर सको प्रेम नभ में धरा में समां जाएगा और कमिटमेंट दो तुम जरा प्रेम का प्रेम नभ से ऊपर भी छा जाएगा मनोज मस्ताना गहन चिंतन जो तुम प्रेम का कर सको प्रेम नभ में धरा में समां जाएगा और कमिटमेंट दो तुम जरा प्रेम का प्रेम नभ से ऊपर भी छा जाएगा