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उम्र ढलती है, जज़्बात कम नहीं होते | ख्याले- दिल म

उम्र ढलती है, जज़्बात कम नहीं होते |
ख्याले- दिल में एहसास, कम नहीं होते ||

चश्म-आंखों में, बल पढ़ गए लेकिन |
हुस्ने दीदार, कम नहीं होते ||

वही मंजिल का, दम नहीं भरते |
जिनके कदमों में, दम नहीं होते ||

वो बज़्म, नूर से वे रौनक है |
जिस भी महफ़िल में, हम नहीं होते ||

वो तसब्बुर से, बात करते हैं |
जिनके सादिक, सनम नहीं होते ||

लेखक मनीष श्रीवास्तव( अर्श) 
गैरतगंज 
मो.9009247220
सादिक- वफ़ादार
तसब्बुर-ख्याल, कल्पना

©Manish  Shrivastava
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