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manishshrivastav4295
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Manish Shrivastava

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Manish Shrivastava

White गुज़र गए जीवन के, पल जो सुहाने |
ना आयेंगे अब वो, गुज़रे जमाने ||

मैं ढूंढने निकला जो, बचपन के खेल को |
याद आ गए मुझे वो, दोस्त पुराने ||

क्या उसको भी एहसास, इस बात का होगा |
क्यों उसके रूठने पे, मैं लगा अश्क बहाने ||

उल्फ़त की जिंदगी भी, कंबख्त क्या रही |
क्या याद रखूं, और क्या किस्से भुलाने ||

कुछ लोग मुझे, अर्श हैं नादान समझते |
फितरत है मेरी, और हैं नादान फसाने ||

लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन
मो.9009247220

©Manish Shrivastava
  #love_shayari
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Manish Shrivastava

White ना दिलासा से, काम चलता है |
दिल तड़पता है, कोशिशे ज़ाम चलता है ||

हो मुबारक उन्हें,जो खुशियाँ मिल गई उनको |
खैर अपना तो, गम में भी काम चलता है ||

अर्श तू ये क्यों, भूल जाता है |
दुश्मनों से कहाँ, दुआ सलाम चलता है ||

उसकी मर्जी से, जी रहे हैं सब |
उसकी मर्जी से, किस्सा तमाम चलता है ||

अब क्यों मन्नत का, असर होता नहीं |
उसके दर पे भी क्या, दाम चलता है ||

लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन
मो.9009247220

©Manish Shrivastava
  #Romantic
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Manish Shrivastava

White जिंदगी रोज पूंछ जाती है |
याद उसकी, अभी भी आती है ||

दिल है खामोश, होंठ बेवश हैं |
हिज्र के गीत, सांस गुनगुनाती है ||

आसमां पूंछता है, बादल से |
तेरी बारिश भी, रूठ जाती है ||

जब दुआ में,असर ना हो पाए |
खुद ही उम्मीद, टूट जाती है ||

अर्श ये सोच के परेशां हूँ |
जिंदगी और क्या दिखाती है ||

लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
मो.9009247220
गैरतगंज जिला रायसेन म. प्र

©Manish Shrivastava
  #GoodMorning
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Manish Shrivastava

White दिल भी उम्मीद करके बैठा है |
हार को जीत करके बैठा है ||

क्यों उदासी में सब पराया है |
गम भी क्या चीज करके बैठा है ||

अब फरिश्तों से इल्तज़ा ना करो |
वो दिल को जीत करके बैठा है ||

कब वो समझेगा ये जुदा होकर |
फासले खींच करके बैठा है ||

मौत आए तो कुछ करार आए |
जिंदगी जीत करके बैठा है ||

अर्श वो हर गज़ल में शामिल है |
ऐसे तबलीग़ करके बैठा है ||
लेखक, :-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन म.प्र
मो.9009247220
तबलीग़ -संदेश पहुंचाना

©Manish Shrivastava
  #SAD
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Manish Shrivastava

रो रो कह रई है नरवाई |
के हो गई, खेतन की कटाई ||

बीज डाल मोहे जनम दियो |
मिट्टी मोरी महतारी |
मैं ही जग की पालनहार |
जानत दुनिया सारी ||

बड़ी भई जो सूखन लागी |
पकी फसल मोहे मानो |
लये मशीन मोहे काट लियो |
ले गए भर-भर दानो |
लेकिन फिर भी खड़ी रही में |
नरवाई मोहे मानो |

मेरी कोई कदर ना जानी |
खेतन में आग लगा दई |
खुद के पांव पे मारी कुलारी |
खेतन की उपज मिटा दई ||

बिनती मोरी सुन लो भईया |
ना मोहे आग लगाओ |
खेत जोत के मिट्टी में |
मोहे फिर से मिलाओ || 
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन
मो.9009247220

©Manish Shrivastava
  #SAD
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Manish Shrivastava

Blue Moon ऐसे भी नादान, बनके ना रहो |
हर किसी की, जान बनके ना रहो ||

क्यों ये फितरत है, तेरी अंजान सी |
घर में हो, मेहमान बनके ना रहो ||

हम उजालों से तो, तौबा कर चुके |
इस तरह तुम, चांद बनके ना रहो ||

मैं खुदा से मांगता था, इक दुआ |
तुम मगर, एहसान बनके ना रहो ||

अर्श की हसरत का तुम, इनाम हो |
ऐसे तुम, इल्ज़ाम बनके ना रहो ||
                         लेखक:- मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
                            गैरतगंज जिला रायसेन
                         मो.9009247220

©Manish Shrivastava
  #bluemoon
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Manish Shrivastava

जलते शोलों में, हवाओं का असर होता है |
यही दुनिया है, हर शै में हुनर होता है ||

तुमको मालूम नहीं, वक्त कितना बेवश है |
जो भी चाहे जहाँ, वक्त उधर होता है ||

हमने इक शख्स को, आंखों में कैद रखा है |
है तमन्ना वो, ज़माने का डर होता है ||

वो समझ जायेगा, गर आंख मिलाकर देखे |
खोया रहता है, ना जाने किधर होता है ||

है आज जीना, कल मिट्टी में मिल जाना है |
सबको मालूम है, बे खबर होता है ||

जितनी सांसे हैं, अर्श शौक से जी लेते हैं |
नाम तक याद नहीं, किसको फिर होता है ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन
मो.9009247220

©Manish Shrivastava
  #oddone
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Manish Shrivastava

Autumn गया जो गुज़र, वो ज़माना नहीं आता |
हाँ उसकी याद आती है,वो दीवाना नहीं आता ||

अब तो मेहफूज़ है हर शख्स, चंद कमरो में |
खुली दालान मिट चुकी हैं, बचाना नहीं आता ||

होके मुंसिफ भी मियां क्या करोगे दुनिया में |
बेबसी इतनी है, सच को सुनाना नहीं आता ||

है हौसला तो ज़रा, खुद से लड़के देख ले तू |
खुद से हारा हुआ हर कोई बताना नहीं आता ||

अर्श सबके गिले शिकवे क्यों भूल जाता है |
कैसा नादान है,रंजिश भी निभाना नहीं आता ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन
मो.9009247220
मुंसिफ -न्याय करने वाला
रंजिश-मन मुटाव लड़ाई

©Manish Shrivastava
  #autumn
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Manish Shrivastava

उम्र तजुर्बो से भर गई देखो |
जिंदगी यूँ गुज़र गई देखो ||

उसने कांटों के, सितम झेले हैं |
कैसी पागल है, फूलों से डर गई देखो ||

मैं ये कैसे  कहूँ, मतलब परस्त दुनिया है |
सोच कर आंख, भर गई देखो ||

सच लिवाज़ों में, झूठ के गुम है |
अब तो आदत सी, पढ़ गई देखो ||

बहुत मिट्टी के, खेल खेले थे |
जिंदगी मिट्टी में, बिखर गई देखो ||

अर्श रोशन है, आसमां कितना |
आग सब राख कर गई देखो ||
लेखक:- मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन म. प्र
मो.9009247220

©Manish Shrivastava
  #raindrops
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Manish Shrivastava

मेरे होने, ना होने का |
तुम्हे डर है, क्या खोने का ||

रात चांद ने भी, मुझसे बोला था |
थक गया, है वक्त सोने का ||

अब रफाकत, कोई निभाता नहीं |
नाम आते ही, पैसा होने का ||

मुझे समझेगा कौन, मैं समझ नहीं पाया |
लोग देते हैं नाम, मुझको बुरा होने का ||

मुझको बचपन, वो अर्श लोटा दे |
जिसको हक है, दुनिया का खुदा होने का ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन म. प्र
मो.9009247220

©Manish Shrivastava
  #Preying
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