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अजनबी जैसा हम से मिलता है । दर्द आँखों से तब पिघलत

अजनबी जैसा हम से मिलता है ।
दर्द आँखों से तब पिघलता है ।।

जान जाती है उस के जाने से ।
ख़्वाहिशों का भी दम निकलता है ।।

टूटता है यकीन खुद पर से ।
कोई मौसम सा जब बदलता है।।

कैसे पहुँचेगा एक मंज़िल पर ।
रास्ते बार बार  बदलता है ।।

कोशिशों पर यकीं करो अपनी ।
मुश्किलों का भी हल निकलता है ।।

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  #Preying tumhi dekho na
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#Preying tumhi dekho na #शायरी

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