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ढलते ही शाम हर रोज,घर लौट आता हूं। पसार सकें न अंध

ढलते ही शाम हर रोज,घर लौट आता हूं।
पसार सकें न अंधेरे पैर,चराग जलाता हूं।
JP lodhi 28/12/2023

©J P Lodhi.
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#शाम 
#Charag 
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