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अधूरे लफ्ज़ो मे बया नहीं ही सकती दास्ताँ किसी की भी

अधूरे लफ्ज़ो मे बया नहीं ही सकती दास्ताँ किसी की भी
क्रांति के सब्ज़ बाग़  अवाम को  कैसे दिखाए

हर कोई मुझे रोन्द कर आगे  निकल रहा है
इस रेंगति हुई जिंदगी को पटरी पर अब कैसे लाये

©Parasram Arora
  क्रांति के सब्ज़ी बाग़

क्रांति के सब्ज़ी बाग़ #शायरी

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