...नहीं आती..?? सुनो..!! अर्सा हो गया, तुम्हें सामने देखें! तुम्हें हमारी याद नहीं आती..?? या फिर मशरूफ हो गई हो ज्यादा तुम, तुम्हें क्या तन्हाई नहीं आती..?? मैं भी व्यस्त हूँ; फिर भी फकत सोचता हूँ, तुम्हें क्या हिचकियाँ नहीं आती..?? आज-कल सपनों में भी रुबरु नहीं होती, तुम्हें क्या नींद नहीं आती..?? फ़िल्में और गाने तो देखती-सुनती ही होगी, तुम्हें क्या रुमानियत नहीं आती..?? मेरी दी हुई कविता नहीं होगी अब शायद! तुम्हें क्या झलकी नहीं आती..?? मैं ये गज़ल जो पढ़ रहा हूँ अभी तुम्हें क्या आवाज़ नहीं आती..?? सुनो..!! अर्सा हो गया, तुम्हें सामने देखें! तुम्हें क्या हमारी याद नहीं आती..?? #गज़ल #नहीं_आती..!!