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आंखरी बार कब हंसे थे कुछ भी मालूम नहीं । अब हर माह

आंखरी बार कब हंसे थे कुछ भी मालूम नहीं ।
अब हर माहौल हमें एक ही जैसा लगता है ।
आंखरी शौक ग़ज़लों का ही रह गया  जीवन में
ए जिंदगी अब तेरा रंग ही फीका लगता है ।
फीकी हंसी के भी कितने ही दुश्मन है यहां ।
जिन्हें खुद के अलावा हर कोई खुशनसीब लगता है।
हजारों मुश्किलों के चलते खुद को सम्भालता है कोई
कौन समझाए इन्हें कि दिखावा भी करना पड़ता है



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,,,,,SAD JURNY,,,,,

©Vickram
  हर कोई भी खुश नहीं रहता
 है यहां#########
vickram4195

Vickram

Silver Star
New Creator

हर कोई भी खुश नहीं रहता है यहां######### #शायरी

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