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White #दरार जिंदगी की इमारत में जोड़ता रहा रिश्तों

White #दरार
जिंदगी की इमारत में 
जोड़ता रहा रिश्तों की ईंटे मैं
वक्त के बेरहम हथौड़े ने
हर बार इसमें दरार किया
किस्मत की लकीरों को
इसने दरारों से भर दिया
हाथ-पैरों की परवाह न की
दिन-रात मैंने एक कर दिया
लहूलुहान होता रहा दिल भी
किसी ने जख्मों पे नमक धर दिया
सालों से इमारत की दरारों में
चिपके हैं जो सीलन की तरह
उन्होंने इन दरारों को कभी
पूरी तरह भरने न दिया।
©अलका मिश्रा

©alka mishra
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