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रात भर इक चाँद ने की तरफ देखता रह गया । ओर कब पलखे

रात भर इक चाँद ने की तरफ देखता रह गया ।
ओर कब पलखे लगी की पत्ता ही नही चला कब वो मेरे संपणे में आके वो बाते करणे लगे...
की पत्ता ही नही चला उनकी याद ही आती हैं ।
कब वो दिन आयेगा उनसे मुलखात होगी रात भर इक चांद से काहता ही राह गया...

©Amit datir
  अधूरी बातें  Dr Imran Hassan Barbhuiya Rajesh Kumar Neeraj Mishra shahpra teena  Chaitali Yengade shahpra teena Zarna dayma Vikas Singh Tanwar lumbini shejul