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तू साथ नहीं पर तेरी सिलवटो कि चादर आज भी बिस्तर प

तू साथ नहीं 
पर तेरी सिलवटो कि चादर आज भी बिस्तर पे बिछा रखी है
आना हो तो आजाना दरवाजें कि चाभी आज भी पायदान के नीचे छिपा रखी है
और कैसे बताऊँ उन्हें की नींद क्यों आती नहीं 
अपनी बेचैनि को हमने करवटों में छिपाए रखी है
और इंतज़ार हमे आज भी उनका इस कदर है 
और इंतज़ार हमे आज भी उनका इस कदर है

©Kumar Gaurav
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