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जिंदा है हम, पर जिंदा नहीं है, मर चुके हैं हम उसक

जिंदा है हम, पर  जिंदा नहीं है,
मर चुके हैं हम उसके सवालों में।

पूछ रही है वो कब तक बचाते रहोंगे,
मुझे अपनों सिर्फ ख्यालों में।

कभी आओ बचाने, जहां मर रही थी मैं,
अपनी एक-एक सांस के लिए दरिंदों से लड़ रही थी मैं।

कब तक मैं तुम्हारी कायरता की भेंट चढ़ती रहूंगी,
मैं,मैं बनके कब तक मरती रहूंगी।
             ---------------आनन्द

©आनन्द कुमार 
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