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Shree Ram कुण्डलिया :- इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जात

Shree Ram कुण्डलिया :-
इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम ।
मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।।
मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी ।
उनसे छुपा न भेद , वही हैं अन्तर्यामी ।।
ज्ञान उन्हें सब आज , बुद्धि है किनकी ठनकी ।
समय दिखाए खेल , आज उनकी कल इनकी ।।

मिटती देखो है नही , कभी भाग्य की रेख ।
तुम्हें बताऐं आज क्या , महिमा उनकी देख ।।
महिमा उनकी देख , सभी का सिर चकराये ।
जिनके हाथों आज , धाम वह अपने आये ।
राम लेख ही एक , सदा जीवन में टिकती ।
यही भक्त औ प्रेम , प्रभु के मन से न मिटती ।।


१९/०१/२०२४      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम ।

मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।।

मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी ।
Shree Ram कुण्डलिया :-
इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम ।
मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।।
मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी ।
उनसे छुपा न भेद , वही हैं अन्तर्यामी ।।
ज्ञान उन्हें सब आज , बुद्धि है किनकी ठनकी ।
समय दिखाए खेल , आज उनकी कल इनकी ।।

मिटती देखो है नही , कभी भाग्य की रेख ।
तुम्हें बताऐं आज क्या , महिमा उनकी देख ।।
महिमा उनकी देख , सभी का सिर चकराये ।
जिनके हाथों आज , धाम वह अपने आये ।
राम लेख ही एक , सदा जीवन में टिकती ।
यही भक्त औ प्रेम , प्रभु के मन से न मिटती ।।


१९/०१/२०२४      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम ।

मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।।

मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी ।

कुण्डलिया :- इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम । मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।। मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी । #शायरी