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ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हर एक लहू के कतरे में ऐ

ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हर एक लहू के कतरे में

ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, 
हर एक लहू के कतरे में।
हिला दिया था अंग्रेजों को,
समझ गये वो थे खतरे में।

गहरी चाल चली उन सब ने,
जाल में तुम्हें फंँसाया था।
धड़कन ही थम रही थी जैसे,
सब ने दिल में बसाया था।

राजगुरु और सुखदेव के संग,
मिलकर आवाज़ उठाई थी।
अंग्रेजों को फिर किया था तंग,
जब उन्होंने अति मचाई थी।

जलियाँवाले बाग को देख कर,
तुम्हारा खून भी खौला था।
कर गुजरना है उस हद तक,
जज्बा दिल का बोला था।

देश भक्ति की मशाल जलाकर,
अंग्रेजों को ललकारा था।
उन दुष्टों को फिर धूल चटाकर,
तबियत से धिक्कारा था।

वक्त आया था फांँसी का जब,
रंग दे बसंती को गाया था।
देश भक्ति की ज्वाला को तब,
कई दिलों में धधकाया था।

चूम कर फंदे को फिर तीनों ने,
देश प्रेम की अलख जगाई थी।
भीग गईं तब सबकी आँखें,
तीनों को दी फिर तब विदाई थी।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #ऐ_भगत_सिंह_तुम_ज़िंदा_हो
#nojotohindi 

ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हर एक लहू के कतरे में

ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, 
हर एक लहू के कतरे में।
हिला दिया था अंग्रेजों को,
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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